भारत में Monkeypox का प्रसार: विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की सावधानियाँ और एहतियात
हाल ही में, मंकीपॉक्स (Monkeypox) का प्रसार भारत समेत विश्व भर में चिंता का विषय बना हुआ है। मंकीपॉक्स एक वायरल संक्रमण है जो पॉप्यूलर क्लीनिकल साइन जैसे बुखार, चकत्ते और अन्य त्वचा संबंधी समस्याओं के साथ प्रकट होता है। यह वायरस मुख्य रूप से जानवरों से इंसानों में फैलता है, लेकिन हाल के वर्षों में इसका मानव-से-मानव प्रसार भी बढ़ा है।
🔴 Monkeypox के लक्षण
Monkeypox के लक्षण आमतौर पर संक्रमण के 7 से 14 दिनों बाद प्रकट होते हैं। इन लक्षणों में शामिल हैं:
- अचानक बुखार आना।
- चेहरे, हाथों और शरीर के अन्य हिस्सों पर लाल चकत्ते।
- शरीर में पठार और पीठदर्द और असुविधा।
- गले में जलन या खराश।
- गले या अंगुलियों में सूजन।
इन लक्षणों की पहचान और सही समय पर इलाज महत्वपूर्ण है ताकि संक्रमण के प्रसार को रोका जा सके।
🔴 WHO की प्रतिक्रिया
WHO (विश्व स्वास्थ्य संगठन) एमपॉक्स (Monkeypox) के प्रकोप से निपटने और उसे नियंत्रित करने के लिए सदस्य देशों और सहयोगी संस्थाओं के साथ मिलकर काम कर रहा है। इसका उद्देश्य टीकों और उपचारों के अनुसंधान का समन्वय करना, राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्रणालियों को सुदृढ़ बनाना, और टीकों, चिकित्सा उपचारों, निदान विधियों और अन्य आवश्यक संसाधनों की समान पहुंच सुनिश्चित करना है।
WHO के महानिदेशक, डॉ. टेड्रोस अदहानोम घेब्रेयसस ने एमपॉक्स के प्रकोप को दो बार अंतरराष्ट्रीय चिंता का सार्वजनिक स्वास्थ्य आपातकाल (PHEIC) घोषित किया है। पहली बार यह घोषणा मई 2022 में की गई थी और दूसरी बार अगस्त 2024 में।
🔴 Monkeypox का प्रसार: स्त्रोत और प्रभाव
Monkeypox का पहला मामला 1958 में जानवरों में पाया गया था, जिसके बाद इस वायरस का नाम ‘मंकीपॉक्स’ पड़ा। मानवों में इसका पहला मामला 1970 में कांगो में दर्ज किया गया था। हालांकि, पिछले कुछ वर्षों में यह वायरस नए क्षेत्रों में फैलने लगा है, और हाल ही में इसका प्रसार भारत में भी देखा जा रहा है।
इस वायरस के फैलने की संभावना कई कारकों पर निर्भर करती है, जैसे कि संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आना, संक्रमित जानवरों का सेवन, या स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी। भारत में हालात को गंभीरता से लेते हुए विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) और भारत सरकार ने विभिन्न सावधानियाँ अपनाई हैं।
🔴 WHO और भारत सरकार द्वारा उठाए गए कदम
1. जन जागरूकता और शिक्षा: WHO और भारत सरकार ने लोगों को मंकीपॉक्स के लक्षण, प्रसार के तरीके और रोकथाम के उपायों के बारे में जागरूक करने के लिए विभिन्न अभियानों की शुरुआत की है।
2. स्वास्थ्य सुविधाओं का सुदृढ़ीकरण: संक्रमित मरीजों की पहचान और इलाज के लिए अस्पतालों में विशेष वॉर्ड्स बनाए गए हैं। साथ ही, वायरस की जाँच और इलाज के लिए आवश्यक उपकरण और दवाइयाँ उपलब्ध कराई गई हैं।
3. संपर्क ट्रेसिंग: संक्रमित व्यक्तियों के संपर्क में आने वाले लोगों की ट्रेसिंग की जा रही है ताकि संक्रमण के प्रसार को रोका जा सके।
4. सुरक्षा उपाय: लोगों को सुरक्षा के लिए मास्क पहनने, हाथ धोने और सामाजिक दूरी बनाए रखने की सलाह दी जा रही है।
5. टीकाकरण और चिकित्सा अनुसंधान: मंकीपॉक्स के टीकाकरण और इलाज के लिए अनुसंधान जारी है। WHO ने टीकाकरण कार्यक्रमों को तेज करने की सलाह दी है।
🔴MPox से उबरने और दूसरों को संक्रमण से बचाने के उपाय
अधिकांश लोग जो एमपॉक्स से प्रभावित होते हैं, वे 2 से 4 सप्ताह के भीतर ठीक हो जाते हैं। लक्षणों को कम करने और एमपॉक्स को दूसरों तक फैलने से रोकने के लिए निम्नलिखित सुझाव दिए गए हैं:
🔴 करने योग्य बातें
- स्वास्थ्य सेवा प्रदाता से सलाह लें: अपने स्वास्थ्य सेवा प्रदाता से सलाह प्राप्त करें।
- घर पर ही रहें: यदि संभव हो, तो घर पर रहें और अपने स्वयं के, अच्छे वेंटिलेशन वाले कमरे में ही रहें।
- हाथों की सफाई: हाथों को साबुन और पानी या हैंड सैनीटाइज़र से बार-बार धोएं, खासकर घावों को छूने से पहले या बाद में।
- मास्क पहनें और घावों को ढकें: अन्य लोगों के संपर्क में आने पर मास्क पहनें और घावों को ढकें जब तक आपका चकत्ता ठीक नहीं हो जाता।
- त्वचा को सूखा और न ढका रखें: त्वचा को सूखा और न ढका रखें (जब तक आप अकेले कमरे में न हों)।
- साझा स्थानों की सफाई: साझा स्थानों में वस्तुओं को छूने से बचें और साझा स्थानों को अक्सर डीसिनफेक्ट करें।
- नमक के पानी से कुल्ला: मुँह के घावों के लिए नमक के पानी से कुल्ला करें।
- गर्म स्नान: शरीर के घावों के लिए बेकिंग सोडा या एप्सम साल्ट के साथ गर्म स्नान करें।
- दर्द निवारक दवाएं: दर्द के लिए पेरासिटामोल (एसीटामिनोफेन) या इबुप्रोफेन जैसी ओवर-द-काउंटर दवाएं लें।
🔴 न करने योग्य बातें
- फफोलों को न फोड़ें या घावों को न खुजलाएं: इससे घावों का ठीक होना धीमा हो सकता है, चकत्ते अन्य भागों में फैल सकते हैं और घावों में संक्रमण हो सकता है।
- घाव वाले क्षेत्रों को न शेव करें: घावों के ठीक होने और नई त्वचा बनने तक शेविंग से बचें (यह चकत्ते को अन्य भागों में फैलाने का कारण बन सकता है)।
🔴 संक्रमण फैलने से रोकने के उपाय
- आइसोलेशन: एमपॉक्स से प्रभावित व्यक्ति को स्वास्थ्य सेवा प्रदाता के दिशा-निर्देशों का पालन करते हुए घर पर आइसोलेट करना चाहिए, या आवश्यक होने पर अस्पताल में रहना चाहिए, जब तक संक्रमण की अवधि समाप्त नहीं हो जाती (लक्षण शुरू होने से लेकर घाव ठीक होने और खुरदरे स्कैब गिरने तक)।
- लेसियंस को ढकना और मास्क पहनना: दूसरों के संपर्क में आने पर लेसियंस को ढकना और अच्छी तरह फिट होने वाला मास्क पहनना संक्रमण के फैलाव को रोकने में मदद कर सकता है।
- कंडोम का उपयोग: सेक्स के दौरान कंडोम का उपयोग एमपॉक्स के जोखिम को कम करने में मदद करता है, लेकिन त्वचा से त्वचा या मुंह से त्वचा संपर्क से फैलाव को रोकने में सक्षम नहीं होता। ठीक होने के बाद 12 हफ्तों (लगभग 3 महीने) तक कंडोम का उपयोग करें।
🔴 यौन गतिविधियों के संबंध में सावधानियाँ
- नई पार्टनरों के साथ यौन गतिविधि से बचाव: जब प्रसार की अवधि बढ़ जाती है, तो नई पार्टनरों के साथ यौन गतिविधियों से ब्रेक लेना एमपॉक्स के जोखिम को कम कर सकता है।
- संपर्क में आने वाले लोग: जो लोग एमपॉक्स से प्रभावित व्यक्ति के संपर्क में आए हैं, उन्हें 21 दिनों (3 हफ्ते) तक लक्षण और संकेतों की निगरानी करनी चाहिए और इस अवधि के दौरान यौन गतिविधि से बचना चाहिए।
🔴 स्वास्थ्यकर्मियों के लिए सुझाव
- सुरक्षा उपाय: एमपॉक्स के मरीजों की देखभाल करते समय स्वास्थ्यकर्मियों को स्वयं की सुरक्षा के लिए उचित व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरण (PPE) (जैसे ग्लव्स, गाउन, आंखों की सुरक्षा और रेस्पिरेटर) पहनना चाहिए और लेसियंस की सुरक्षित स्वाबिंग और शार्प वस्तुओं जैसे सुई के साथ काम करते समय प्रोटोकॉल का पालन करना चाहिए।
भारत में Monkeypox के प्रसार को रोकने के लिए यह महत्वपूर्ण है कि हम सभी सतर्क रहें और WHO की सलाहों का पालन करें।
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