West Bengal में बलात्कार के आरोपियों के लिए फांसी की सजा, विधेयक पारित

Anti- Rape Bill Passed the Assembly of WB

West Bengal में बलात्कार के आरोपियों के लिए फांसी की सजा, विधेयक पारित

West Bengal विधानसभा ने पारित किया एंटी-रेप बिल, बलात्कारियों के लिए मौत की सजा का प्रावधान

West Bengal विधानसभा ने दोषियों के लिए मौत की सजा का प्रावधान करने वाला बलात्कार विरोधी विधेयक पारित कर दिया

West Bengal विधानसभा ने आज एक महत्वपूर्ण विधेयक को मंजूरी दे दी है जो बलात्कार के अपराधियों के लिए मौत की सजा की सिफारिश करता है। इस विधेयक को “पश्चिम बंगाल एंटी-रेप एक्ट” के नाम से जाना जाएगा। यह विधेयक राज्य की सुरक्षा और महिलाओं के अधिकारों की रक्षा के प्रति सरकार की दृढ़ प्रतिबद्धता को दर्शाता है।

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West Bengal में बलात्कार के आरोपियों के लिए फांसी की सजा

विधेयक के प्रमुख प्रावधान

इस नए विधेयक के तहत, बलात्कार के दोषियों को मौत की सजा देने का प्रावधान किया गया है। इसके अलावा, यह विधेयक बलात्कार के मामलों की तेजी से सुनवाई और न्याय दिलाने के लिए विशेष अदालतों की स्थापना का भी प्रस्ताव करता है। विधेयक के अनुसार, विशेष अदालतों में छह माह के भीतर ट्रायल पूरा करने की कोशिश की जाएगी ताकि पीड़ितों को शीघ्र न्याय मिल सके।

पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्री, ममता बनर्जी ने विधेयक के पारित होने पर कहा, “हमारी सरकार महिलाओं की सुरक्षा को लेकर पूरी तरह से प्रतिबद्ध है। इस विधेयक का उद्देश्य समाज में महिलाओं के प्रति हो रहे हिंसा और बलात्कार के मामलों में कठोर सजा देने का है।”

विधेयक का प्रभाव और प्रतिक्रिया

विधेयक को पारित करने के बाद, विभिन्न सामाजिक संगठनों और महिला अधिकार कार्यकर्ताओं ने इसका स्वागत किया है। वुमन ऐंड चिल्ड्रन प्रोटेक्शन नेटवर्क की प्रमुख, अनुराधा शर्मा ने कहा, “यह विधेयक महिलाओं के अधिकारों की रक्षा के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है। हम उम्मीद करते हैं कि इस कठोर कानून से बलात्कार के मामलों में कमी आएगी और समाज में एक मजबूत संदेश जाएगा कि ऐसे अपराध बर्दाश्त नहीं किए जाएंगे।”

हालांकि, कुछ कानूनी विशेषज्ञों ने इस विधेयक पर चिंता व्यक्त की है। उनका कहना है कि मृत्यु दंड का प्रावधान न्याय की प्रक्रिया को अधिक जटिल बना सकता है और इससे न्यायाधीशों पर अतिरिक्त दबाव पड़ सकता है। इसके अलावा, यह भी संभव है कि निर्दोष लोगों को भी फांसी की सजा का सामना करना पड़े अगर न्याय प्रणाली में कोई कमी रह जाए।

विधेयक की मंजूरी की प्रक्रिया

यह विधेयक पश्चिम बंगाल विधानसभा के दोनों सदनों में भारी बहुमत से पारित हुआ। विधानसभा में विधेयक पर चर्चा के दौरान, कई विधायकों ने इसे महिलाओं के सुरक्षा के दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण कदम बताया। विधानसभा में उपस्थिति नेताओं ने इस पर जोर देते हुए कहा कि यह कानून समाज में सकारात्मक बदलाव लाने के लिए जरूरी है।

अब इस विधेयक को राज्यपाल की स्वीकृति के लिए भेजा जाएगा। यदि राज्यपाल इसे मंजूरी देते हैं, तो यह विधेयक कानून के रूप में लागू हो जाएगा और इसके प्रावधानों के तहत कार्यान्वयन शुरू होगा।

वकील संजय बसु के नेतृत्व में लॉ फर्म एक्विला की एक टीम, वकील सुचरिता बसु, सौमेन मोहंती, स्वाति शर्मा, रिद्धि जैन, शिबाना फरहीन, उपासना मोहंती और प्रशिक्षु प्रज्ञा बसाक के साथ बिल के प्रारूपण से जुड़ी थी।

[ Read Bill ]

जांच और सुनवाई के लिए कम समय सीमा:

  1. बलात्कार के मामलों में जांच के लिए कम समयसीमा प्रदान करने के लिए बीएनएसएस की धारा 193 में संशोधन की मांग की गई है। विधेयक में कहा गया है कि ऐसी जांच 21 दिनों के भीतर पूरी की जानी चाहिए (बीएनएसएस के तहत दिए गए दो महीनों के बजाय)। विधेयक में कहा गया है कि केस डायरी में कारणों को लिखित रूप में दर्ज करने के लिए इस समयसीमा को अधिकतम 15 दिनों तक बढ़ाया जा सकता है।

2. विधेयक में बीएनएसएस की धारा 346(1) में संशोधन का भी प्रस्ताव है ताकि ऐसे मामलों की जांच या सुनवाई आरोप पत्र दाखिल करने की तारीख से 30 दिनों के भीतर पूरी हो सके।

पश्चिम बंगाल विधानसभा द्वारा पारित इस विधेयक से महिलाओं की सुरक्षा के प्रति राज्य सरकार की गंभीरता और प्रतिबद्धता स्पष्ट होती है। यह विधेयक बलात्कार के मामलों में सख्त सजा की व्यवस्था करके समाज में न्याय और सुरक्षा सुनिश्चित करने का प्रयास है। हालांकि, इसके प्रभावी कार्यान्वयन के लिए समय के साथ-साथ उचित निगरानी और न्यायिक प्रक्रिया की समीक्षा की आवश्यकता होगी।


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