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उत्तर प्रदेश विधानसभा में लव जिहाद बिल पास: बेल मिलने के लिए लागू की गईं कई शर्तें

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उत्तर प्रदेश विधानसभा में ‘लव जिहाद’ बिल पास: बेल मिलने के लिए कड़ी शर्तें लागू

By : News Khoj | Updated at : 30 Jul 2024 05:30 PM (IST)

49315cc7ea7202ad0a79dfda762d4ad71722337188080369_original उत्तर प्रदेश विधानसभा में लव जिहाद बिल पास: बेल मिलने के लिए लागू की गईं कई शर्तें
सीएम योगी आदित्यनाथ | Source: Vidhan Sabha

लखनऊ: उत्तर प्रदेश विधानसभा ने बुधवार को ‘लव जिहाद’ के खिलाफ प्रस्तावित बिल को पारित कर दिया, जिसे लेकर राज्य में व्यापक चर्चा और विवाद शुरू हो गया है। इस कानून के तहत, प्रेम और विवाह के मामलों में धार्मिक पहचान के आधार पर किए गए दावों की जांच और बेल मिलने की शर्तों को कड़ा किया गया है।

बिल की प्रमुख बातें:

यह विधेयक, जिसे आधिकारिक तौर पर “उत्तर प्रदेश धार्मिक स्वतंत्रता (विवाह) अधिनियम, 2024” के नाम से जाना जाएगा, का उद्देश्य धर्म के आधार पर होने वाले प्रेम विवाहों की जांच करना और सुनिश्चित करना है कि कोई भी विवाह धार्मिक मतभेदों का लाभ उठाकर न किया जाए। इस बिल के तहत, विवाह के मामलों में धर्म परिवर्तन को लेकर किए गए दावों की गहराई से जांच की जाएगी और अदालत में पेश किए गए सबूतों की कड़ी समीक्षा की जाएगी।

बेल मिलने की शर्तें:

इस नए कानून के तहत, यदि किसी पर ‘लव जिहाद’ का आरोप लगता है और उसे जेल भेजा जाता है, तो उसे बेल मिलने के लिए कई शर्तें पूरी करनी होंगी:

  1. साक्ष्य और जांच: आरोपित को बेल मिलने के लिए यह साबित करना होगा कि उसने किसी प्रकार के धार्मिक धोखाधड़ी का सहारा नहीं लिया। इसके लिए एक विस्तृत जांच और साक्ष्य की आवश्यकता होगी।
  2. प्रमाणपत्र: आरोपित को अपने विवाह के दौरान धर्म परिवर्तन के प्रमाण पत्र को प्रस्तुत करना होगा, जिसमें यह सुनिश्चित किया जाए कि धर्म परिवर्तन स्वतंत्र और स्वेच्छा से किया गया है।
  3. साक्षी और गवाह: विवाह के गवाह और संबंधित साक्षियों के बयान भी आवश्यक होंगे, जो यह प्रमाणित कर सकें कि विवाह किसी भी प्रकार के धार्मिक शोषण के बिना हुआ है।

राजनीतिक और सामाजिक प्रतिक्रियाएँ:

बिल के पास होने के बाद, इसे लेकर राजनीतिक और सामाजिक बहसें तेज हो गई हैं। विपक्षी दलों ने इस विधेयक की आलोचना करते हुए इसे धार्मिक स्वतंत्रता और व्यक्तिगत अधिकारों के खिलाफ बताया है। उनका कहना है कि यह विधेयक धार्मिक भेदभाव को बढ़ावा देगा और व्यक्तिगत स्वतंत्रताओं को सीमित करेगा।

वहीं, राज्य सरकार और इसके समर्थक इस विधेयक को समाज में धार्मिक शोषण और धोखाधड़ी के मामलों को नियंत्रित करने का एक प्रभावी उपाय मानते हैं। उनका तर्क है कि इस बिल से धार्मिक विश्वासों के आधार पर किए गए विवाहों में पारदर्शिता और न्याय सुनिश्चित होगा।

‘लव जिहाद’ बिल के पारित होने से उत्तर प्रदेश में विवाह के मामलों में नई कानूनी बाधाएँ और जाँच प्रक्रिया लागू हो गई हैं। यह बिल कानून की जटिलताओं और धर्म के आधार पर विवाह के मुद्दे पर राजनीतिक और सामाजिक चर्चाओं का नया केंद्र बिंदु बन गया है। यह देखना दिलचस्प होगा कि इस कानून का वास्तविक जीवन में लागू कैसे किया जाएगा और इसके सामाजिक परिणाम क्या होंगे।

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