Raghav Chadha की मांग: चुनाव लड़ने की उम्र 25 से घटाकर 18 साल की जाए

RAGHAV CHADHA

Raghav Chadha की मांग: चुनाव लड़ने की उम्र 25 से घटाकर 18 साल की जाए

AAP सांसद Raghav Chadha की राज्यसभा में बड़ी मांग: चुनाव लड़ने की उम्र 25 से घटाकर 18 साल की जाए

नई दिल्ली, 1 अगस्त 2024 – आम आदमी पार्टी (AAP) के सांसद राघव चड्ढा ने आज राज्यसभा में एक महत्वपूर्ण प्रस्ताव पेश किया, जिसमें उन्होंने चुनाव लड़ने की न्यूनतम उम्र को 25 साल से घटाकर 18 साल करने की मांग की। इस प्रस्ताव का उद्देश्य युवा वर्ग को राजनीतिक प्रक्रिया में अधिक सक्रिय भूमिका प्रदान करना है।
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आप नेता राघव चड्ढा  / Source : PTI

प्रस्ताव की मुख्य बातें:

  • उम्र में कटौती: वर्तमान में भारत में चुनाव लड़ने के लिए न्यूनतम उम्र 25 साल है, जबकि मतदान की उम्र 18 साल है। राघव चड्ढा ने प्रस्ताव में सुझाव दिया कि इस असमानता को दूर करने के लिए चुनाव लड़ने की उम्र को 18 साल कर दिया जाए। उनका तर्क है कि यदि 18 साल की उम्र में युवा नागरिक मतदान का अधिकार प्राप्त कर सकते हैं, तो उन्हें चुनावी मैदान में भी उतरने का समान अवसर मिलना चाहिए।
  • युवाओं की भागीदारी: चड्ढा का मानना है कि युवा वर्ग में सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक मुद्दों पर गहरी समझ है और वे देश की राजनीतिक प्रक्रिया में सक्रिय भागीदारी कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि युवाओं को नेतृत्व का मौका देने से लोकतंत्र को मजबूती मिलेगी और समाज में सकारात्मक बदलाव आएगा।
  • राजनीतिक सुधार: इस प्रस्ताव के माध्यम से चड्ढा ने भारतीय लोकतंत्र में सुधार की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाने का सुझाव दिया है। उनका कहना है कि यह बदलाव युवा नेताओं को प्रेरित करेगा और उन्हें समाज में प्रभावी भूमिका निभाने का अवसर देगा।

प्रस्ताव पर प्रतिक्रियाएँ:

प्रस्ताव के पेश होने के बाद, विभिन्न नेताओं और राजनीतिक दलों ने मिश्रित प्रतिक्रियाएं दी हैं। कुछ ने इस प्रस्ताव को स्वागतयोग्य और समय की मांग बताया है, जबकि अन्य ने इसके संभावित विवादों और चुनौतियों पर चिंता व्यक्त की है।

राघव चड्ढा ने प्रस्ताव पेश करते हुए कहा, “आज के युवा समाज के हर क्षेत्र में अपनी भूमिका निभा रहे हैं। उन्हें चुनावी राजनीति में भी समान अवसर मिलना चाहिए। 18 साल की उम्र से चुनाव लड़ने का अधिकार मिलने से युवाओं की ऊर्जा और सोच का सही उपयोग हो सकेगा।”

यह प्रस्ताव अब राज्यसभा में विचाराधीन रहेगा और इसके बाद इसे विधायिका के अन्य सदनों में भी पेश किया जाएगा। यदि यह प्रस्ताव पारित होता है, तो इसके लिए संविधान संशोधन की आवश्यकता होगी, जिसे विभिन्न स्तरों पर स्वीकृति प्राप्त करनी होगी।

इस प्रस्ताव के पारित होने के बाद, भारतीय राजनीति में युवाओं की भागीदारी में महत्वपूर्ण बदलाव आ सकता है। इससे लोकतंत्र में अधिक विविधता और नवाचार देखने को मिल सकता है, जो भारतीय राजनीति को अधिक गतिशील और समावेशी बना सकता है।


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