सुप्रीम कोर्ट से मनीष सिसोदिया को जमानत, 17 महीने बाद जेल से होंगे रिहा

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सुप्रीम कोर्ट से मनीष सिसोदिया को जमानत, 17 महीने बाद जेल से होंगे रिहा

सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक निर्णय: मनीष सिसोदिया को सीबीआई और ईडी केस में जमानत, 17 महीने बाद जेल से होंगे रिहा

नई दिल्ली, 9 अगस्त 2024 – दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया को आज सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है। सर्वोच्च न्यायालय ने सिसोदिया को केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) मामलों में जमानत देने का आदेश दिया है।

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Manish Sisodia’s appeal for bail in liquor policy case

कोर्ट ने शुक्रवार को कहा कि उसने ट्रायल कोर्ट या हाई कोर्ट के आदेश में किसी भी गलती को नहीं देखा, लेकिन मनीष सिसोदिया को जमानत दी क्योंकि “निकट भविष्य में ट्रायल समाप्त होने की कोई संभावना नहीं” है।

सुप्रीम कोर्ट की बेंच, जिसमें जस्टिस अरुण मिश्रा और जस्टिस रेखा पल्ली शामिल थीं, ने इस फैसले को सुनाया। मनीष सिसोदिया को पिछले कई महीनों से जमानत के लिए संघर्ष करना पड़ रहा था, और उनके खिलाफ चल रही जांच ने दिल्ली की राजनीति को गरमा दिया था।

सिसोदिया की कानूनी टीम ने कोर्ट में तर्क किया कि आरोप पूरी तरह से राजनीतिक लाभ के लिए लगाए गए हैं और इसमें कोई ठोस प्रमाण नहीं है। उनके वकील ने यह भी कहा कि सिसोदिया का सहयोग और पारदर्शिता के साथ न्यायिक प्रक्रिया से जुड़ाव रहा है। दूसरी ओर, अभियोजन पक्ष ने जमानत का विरोध करते हुए कहा कि इससे जांच प्रभावित हो सकती है और गवाहों पर दबाव पड़ सकता है।

सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से सिसोदिया के समर्थक उत्साहित हैं, जिन्होंने इसे एक बड़ी जीत के रूप में देखा है। सिसोदिया ने कोर्ट के निर्णय के बाद एक बयान में कहा, “मैं हमेशा दिल्ली की जनता की सेवा और पारदर्शिता के साथ काम करने के प्रति प्रतिबद्ध रहा हूँ। मुझे पूरा विश्वास है कि न्याय मिलेगा और सच सामने आएगा।”

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इस फैसले का राजनीतिक परिदृश्य पर भी महत्वपूर्ण असर पड़ सकता है। सिसोदिया और उनकी पार्टी, आम आदमी पार्टी (AAP), अब जमानत मिलने के बाद अपने आगामी रणनीतिक कदम तय करेंगी। यह निर्णय दिल्ली की राजनीति में एक नया मोड़ ला सकता है, खासकर जब आगामी चुनावों को लेकर चर्चा तेज हो रही है।

इस केस ने राजनीतिक और कानूनी विमर्श को भी उजागर किया है, और यह सवाल उठाया है कि उच्च-profile मामलों में न्याय का रास्ता कितना सरल और निष्पक्ष होता है। सुप्रीम कोर्ट का यह निर्णय निश्चित रूप से राजनीतिक हलकों में चर्चा का विषय बना रहेगा और आगामी दिनों में इसके प्रभावों का आकलन किया जाएगा।


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